संजय सागर
बड़कागांव : बड़कागांव थाना क्षेत्र के हरली गांव निवासी टेंट मालिक बसंत कुमार महतो का रहस्मय लापता होना और फिर मिल जाना क्षेत्र में चर्चा का विषय गर्म है. क्योंकि मिलने के बाद बसंत की पत्नी रीता देवी ने बड़कागांव थाना में लिखित दी है कि पति का दिमागी हालत ठीक नहीं है कुछ भी बताने में असमर्थ है . इसलिए किसी पर कोई कुछ भी आरोप-प्रत्यारोप नहीं है. जबकि उनकी पत्नी रीता देवी बसंत का लापता होने के बाद महुगाईकला निवासी का एक परिवार पर अपहरण या लापता करने का आरोप लगाकर दो परिवार नहीं बल्कि दो गांव हरली एवं महुगाईकला को आमने-सामने कर दी थी. रीता देवी एवं बसंत के टेंट मजदूर के कहने पर हरली गांव के ग्रामीणों द्वारा उस परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे महुगाईकला के ग्रामीणों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया गया था. लापता समय अवधि तक कई तरह की अफवाहें एवं अटकलें का बाजार गर्म रहा. ग्रामीणों के अनुसार यहां तक कि इस अवधि तक पड़ने वाले हाट, बाजार, चौक चौराहे, गली मोहल्ले में भी दोनों गांव के ग्रामीण हॉक टॉक की स्थिति उत्पन्न होती थी आरोपित परिवार के घर को ढाहने एवं जलाने की धमकियां भी मिलती रही. बसंत की पत्नी एवं टेंट के मजदूर कि बदलते बयान से पुलिस की दबिश एवं हरली के पूर्व मुखिया महेंद्र महतो की सक्रियता के कारण 5 दिन बाद अचानक हजारीबाग बस स्टैंड में बसंत का रहस्म्य स्थिति में मिलना चर्चा का विषय बना हुआ है. प्राप्त सूत्रों के अनुसार बसंत का 24 अप्रैल को हरली गांव से लापता होने के पूर्व रात्रि में पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर अनबन होने की पत्नी द्वारा पुरी घटना क्रम तक इस बात को दबाए रखना की भी चर्चा का विषय बना हुआ है. बसंत के मिलने के बाद जिस आसान तरीके से मामले को भले ही शांत कर दिया गया लेकिन दो गांव के बीच किसी भयावह घटना की संभावना को भुलाया नहीं जा सकता. महुगाईकला में जिस घर में टेंट लगाया गया था उस परिवार की गलती सिर्फ इतनी थी कि बसंत द्वारा पूर्व में तय किया गया 23 अप्रैल को रिसेप्शन पार्टी के दिन टेंट का पूरा सामान उपलब्ध नहीं कराए जाने पर 24 अप्रैल को लगभग 8 बजे सुबह बसंत के मजदूरों को टेंट खोलने से यह कह कर मना कर दिया गया कि पहले मलिक को बुलाओ तब टेंट को खोलने दिया जाएगा. इसके बाद दिन भर ना टेंट मलिक बसंत आया न हीं उसके मजदूर. रात्रि होने के बाद बसंत की पत्नी रीता एवं उसके मजदूरों द्वारा उस परिवार पर लापता या गायब करने का आरोप लगना शुरू कर दिया गया. यदि बसंत जीवित नहीं मिलता तो उस परिवार एवं महुगाई गांव के प्रति क्या नौबत होती यह अनुमान लगाना संभव नहीं है.